स्कूल से निकलकर जब आप कॉलेज की तरफ पहला कदम बढ़ाते हैं, तो एक अलग ही माहौल देखने को मिलता है। स्कूल में की गई वो शरारत यहां आकर जिम्मेदारी में बदल जाती है। मस्ती की टोली जब करियर को लेकर सीरियस होती है तो काफी चीजें बदल जाती हैं। ऐसे में अपना पहला कदम बढ़ाते समय कुछ जरूरी बातों को ध्यान में रख लिया जाए, तो करियर की यह राह आसान हो जाती है। जानें कुछ खास टिप्स के बारे में....
(1) Think of the long game :- करियर की शुरुआत में दो बातें सबसे महत्वपूर्ण होती हैं, पहली बात कि, हमें किसी दिशा में जाना है और दूसरा किस तरह जाना है। इसमें कॉलेज के टीचर्स आपकी मदद कर सकते हैं। एक बार आपको अपना गोल पता हो जाए, फिर उस रास्ते पर चलने की बारी आपकी होती है। कॉलेज के टीचर्स नए-नए आइडियाज दे सकते हैं, जिसे सीखना की जिम्मेदारी स्टूडेंट्स की होती है। आइडिया मिलते ही उसके अनुसार ही कॉलेज का चयन कर लें, कॉलेज चुनते समय किसी की बातों में न आए। अपनी तरफ से पूरी तरह से जांच-पड़ताल करने के बाद ही एडमीशन लें।
(2) Chosse classes wisely :- कोर्स के मुताबिक कॉलेज मिलने के बाद अच्छी तरह से क्लॉसेज लेना भी जरूरी होता है। आपको यहां ध्यान रखना चाहिए कि, सभी क्लासेज महत्वपूर्ण होती हैं। हालांकि कभी-कभी टीचर्स और उनकी पढ़ाने की स्टाईल कई स्टूडेंट्स को पसंद आती है, तो कुछ स्टूडेंट्स ऐसे माहौल में नहीं पढ़ पाते हैं। ऐसे में अच्छी क्लॉसेज को चूज करना आपकी जिम्मेदारी होती है। अच्छे टीचर्स का लेक्चर कितना फायदेमंद होता है, यह आपको लॉस्ट ईयर तक खुद पता चल जाएगा। इसके अलावा आपके अंदर क्वेश्चन पूछने की भी क्यूरीसिटी होनी चाहिए। क्लॉस में भले ही 300 स्टूडेंट्स बैठे हों लेकिन आपके अंदर टीचर्स से बेझिझक क्वेश्चन पूछने की आदत होनी चाहिए।
(3) Take care of yourself :- कॉलेजों में क्लॉसेज का रूटीन कैसा होता है, इसे समझना भी आवश्यक है। ताकि उसके अनुसार आप अपना टाइम टेबल बना लें। अक्सर देखा जाता है कि स्टूडेंट्स पढ़ाई में इतना बिजी हो जाते हैं कि, वह अपने स्वास्थ्य की देखभाल नहीं कर पाते हैं और बीमार पड़ जाते हैं। कॉलेज में क्लॉसेस कितनी देर तक चलती हैं, या फिर कौन सा लेक्चर आपके लिए महत्वपूर्ण है, इन सब बातों को अच्छी तरह से आकलन कर लें। अगर आपको लगता है कि रेगुलर क्लॉसेज लेने से दिमाग और शरीर पर बुरा असर पड़ रहा है, तो अपने टीचर्स से कंसल्ट करके इस समस्या का समाधान निकालें।
(4) Look beyond the classroom :- क्लॉसरूम को अपनी पूरी दुनिया न बना लें। इससे बाहर निकलर अपने दोस्तों के साथ थोड़ा हंसी-मजाक भी करना जरूरी है। इसके अलावा कॉलेज में होने वाले कल्चरल इवेंट या फिर स्पोर्ट्स आदि में भी पार्टिसिपेट जरूर करना चाहिए। आप जितना सोशलाइज होंगे, यह आपकी पर्सनालिटी को इंप्रूव करता जाएगा। जितना हो सके, उतने लोगों से मिलकर बात करें। अलग-अलग लोगों से बात करने में आपको दुनिया की समझ होगी। इसके अलावा अपने टीचर्स से भी क्लॉसरूम के बाहर हल्की-फुल्की बातचीत कर सकते हैं आखिर वे भी एक इंसान ही हैं, ऐसे में आप जितना ज्यादा उनसे अटैच होंगे। वह आपके करियर में हमेशा सुझाव देते रहेंगे।
(2) Chosse classes wisely :- कोर्स के मुताबिक कॉलेज मिलने के बाद अच्छी तरह से क्लॉसेज लेना भी जरूरी होता है। आपको यहां ध्यान रखना चाहिए कि, सभी क्लासेज महत्वपूर्ण होती हैं। हालांकि कभी-कभी टीचर्स और उनकी पढ़ाने की स्टाईल कई स्टूडेंट्स को पसंद आती है, तो कुछ स्टूडेंट्स ऐसे माहौल में नहीं पढ़ पाते हैं। ऐसे में अच्छी क्लॉसेज को चूज करना आपकी जिम्मेदारी होती है। अच्छे टीचर्स का लेक्चर कितना फायदेमंद होता है, यह आपको लॉस्ट ईयर तक खुद पता चल जाएगा। इसके अलावा आपके अंदर क्वेश्चन पूछने की भी क्यूरीसिटी होनी चाहिए। क्लॉस में भले ही 300 स्टूडेंट्स बैठे हों लेकिन आपके अंदर टीचर्स से बेझिझक क्वेश्चन पूछने की आदत होनी चाहिए।
(3) Take care of yourself :- कॉलेजों में क्लॉसेज का रूटीन कैसा होता है, इसे समझना भी आवश्यक है। ताकि उसके अनुसार आप अपना टाइम टेबल बना लें। अक्सर देखा जाता है कि स्टूडेंट्स पढ़ाई में इतना बिजी हो जाते हैं कि, वह अपने स्वास्थ्य की देखभाल नहीं कर पाते हैं और बीमार पड़ जाते हैं। कॉलेज में क्लॉसेस कितनी देर तक चलती हैं, या फिर कौन सा लेक्चर आपके लिए महत्वपूर्ण है, इन सब बातों को अच्छी तरह से आकलन कर लें। अगर आपको लगता है कि रेगुलर क्लॉसेज लेने से दिमाग और शरीर पर बुरा असर पड़ रहा है, तो अपने टीचर्स से कंसल्ट करके इस समस्या का समाधान निकालें।
(4) Look beyond the classroom :- क्लॉसरूम को अपनी पूरी दुनिया न बना लें। इससे बाहर निकलर अपने दोस्तों के साथ थोड़ा हंसी-मजाक भी करना जरूरी है। इसके अलावा कॉलेज में होने वाले कल्चरल इवेंट या फिर स्पोर्ट्स आदि में भी पार्टिसिपेट जरूर करना चाहिए। आप जितना सोशलाइज होंगे, यह आपकी पर्सनालिटी को इंप्रूव करता जाएगा। जितना हो सके, उतने लोगों से मिलकर बात करें। अलग-अलग लोगों से बात करने में आपको दुनिया की समझ होगी। इसके अलावा अपने टीचर्स से भी क्लॉसरूम के बाहर हल्की-फुल्की बातचीत कर सकते हैं आखिर वे भी एक इंसान ही हैं, ऐसे में आप जितना ज्यादा उनसे अटैच होंगे। वह आपके करियर में हमेशा सुझाव देते रहेंगे।
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